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India-चीन संबंध: सहयोग का नृत्य या प्रतिस्पर्धा की जटिलता

India-चीन संबंध: सहयोग का नृत्य या प्रतिस्पर्धा की जटिलता

India और चीन—दो प्राचीन सभ्यताएँ, दो विशाल अर्थव्यवस्थाएँ और दो पड़ोसी देश, जिनकी आपसी गतिशीलता केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक प्रभाव भी रखती है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'Lex Fridman' पॉडकास्ट पर दिए गए बयान को चीन ने "प्रशंसनीय" बताया, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सकारात्मक दिशा में ले जाने की इच्छा बनी हुई है।

India-China relations: Dance of cooperation or the complexity of competition


इतिहास के आईने में India-चीन संबंध

India और चीन का संबंध सदियों पुराना है। बौद्ध धर्म का प्रसार, व्यापारिक मार्गों की स्थापना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान इन दोनों देशों को ऐतिहासिक रूप से जोड़ते हैं। पुराने अभिलेखों के अनुसार, एक समय था जब भारत और चीन मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था का 50% से अधिक हिस्सा रखते थे। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों ने एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखा और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


वर्तमान संदर्भ में India-चीन संबंध

हाल के वर्षों में, India और चीन के संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों ने दोनों देशों के बीच विश्वास की दीवार को कुछ हद तक कमजोर कर दिया, लेकिन राजनयिक स्तर पर वार्ता जारी रही। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पॉडकास्ट साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि प्रतिस्पर्धा को टकराव में नहीं बदलना चाहिए और मतभेदों को विवादों में नहीं ढलने देना चाहिए। यह एक ऐसा संदेश है जो केवल भारत-चीन संबंधों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति के लिए भी प्रासंगिक है।

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चीनी प्रतिक्रिया और रणनीतिक संकेत

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इस बयान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि India और चीन को एक-दूसरे की सफलता में योगदान देने वाला साझेदार बनना चाहिए। उन्होंने इसे "ड्रैगन और हाथी का नृत्य" करार दिया, जो दर्शाता है कि चीन, भारत के साथ सहयोग की ओर देख रहा है।

India और चीन के राष्ट्राध्यक्षों की पिछली बैठकों में भी इस बात पर बल दिया गया कि परस्पर समझ को बढ़ावा दिया जाए और विवादों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक मार्ग अपनाया जाए। हाल ही में कज़ान, रूस में हुई बैठक में दोनों देशों ने अपने संबंधों को नई दिशा देने की रणनीति बनाई।


India-चीन व्यापारिक संबंध

हालाँकि राजनीतिक संबंधों में जटिलताएँ बनी हुई हैं, लेकिन व्यापारिक क्षेत्र में भारत और चीन के बीच मजबूती दिखाई देती है। चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 135 अरब डॉलर से अधिक का रहा, जिसमें भारत का व्यापार घाटा प्रमुख चिंता का विषय बना रहा।


भविष्य की राह: सहयोग या प्रतिस्पर्धा?

अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत और चीन भविष्य में सहयोग के मार्ग पर बढ़ेंगे या फिर प्रतिस्पर्धा की राह पर ही रहेंगे? प्रधानमंत्री मोदी की यह सोच कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को विवादों में नहीं बदलना चाहिए, भारत की नीति का स्पष्ट संकेत है।

India अपनी 'आत्मनिर्भर भारत' नीति के तहत घरेलू उत्पादन और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे वह चीन पर अपनी निर्भरता कम कर सके। वहीं, चीन भी अपनी 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) के माध्यम से अपनी वैश्विक उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।


India और चीन के संबंध सरल नहीं हैं, लेकिन असंभव भी नहीं। दोनों देशों के पास इतिहास का अनुभव, सांस्कृतिक संबंध और आर्थिक सहयोग की क्षमता है। यदि दोनों देश कूटनीति और समझदारी से काम लें, तो यह निश्चित रूप से एक सहयोगी भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में यह "ड्रैगन और हाथी का नृत्य" किस दिशा में जाता है—क्या यह एक संतुलित सहयोग का मार्ग अपनाता है, या फिर प्रतिस्पर्धा की तीव्रता में उलझ जाता है?

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