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छोरी 2: नुसरत भरुचा की हॉरर फिल्म जो समाज के काले सच को उजागर करती है

छोरी 2: नुसरत भरुचा की हॉरर फिल्म जो समाज के काले सच को उजागर करती है

बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों का चलन भले ही कम रहा हो, लेकिन पिछले कुछ सालों में इस हॉरर फिल्म ने दर्शकों के बीच अपनी खास जगह बनाई है। नुसरत भरुचा की फिल्म "छोरी" ने 2021 में रिलीज होकर न सिर्फ हॉरर के शौकीनों का ध्यान खींचा, बल्कि सामाजिक बुराइयों पर तीखी टिप्पणी के लिए भी सराहना बटोरी। अब नुसरत "छोरी 2" के साथ एक बार फिर हॉरर की दुनिया में लौट रही हैं, और इस बार कहानी पहले से कहीं ज्यादा गहरी, डरावनी और विचारोत्तेजक होने का वादा करती है। यह फिल्म 11 अप्रैल 2025 को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने वाली है, और इसके ट्रेलर और नुसरत के हालिया इंटरव्यू ने पहले ही इसे लेकर उत्साह बढ़ा दिया है।

छोरी 2: नुसरत भरुचा की हॉरर फिल्म


छोरी की सफलता और छोरी 2 की उत्पत्ति

"छोरी" एक मराठी फिल्म "लपाछपी" का हिंदी रीमेक थी, जिसे विशाल फुरिया ने डायरेक्ट किया था। पहली फिल्म में नुसरत ने साक्षी का किरदार निभाया था, जो एक गर्भवती महिला के रूप में अपने अजन्मे बच्चे को बचाने के लिए अलौकिक और सामाजिक दोनों खतरों से जूझती है। फिल्म की कहानी ने नारी भ्रूण हत्या और पितृसत्ता जैसे गंभीर मुद्दों को हॉरर के साथ जोड़कर दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया। इसकी सफलता ने "छोरी 2" का रास्ता तैयार किया।


हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में नुसरत ने बताया कि पहली फिल्म की सफलता ने सीक्वल के लिए प्रेरणा दी, लेकिन "छोरी 2" का निर्माण किसी लालच या जबरदस्ती से नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "हम सब इस कहानी के साथ एकजुट हैं, जो अपने सबसे सच्चे रूप में सामने आना चाहती थी। यह 'चलो पार्ट 2 बनाते हैं' की सोच से नहीं बना। हममें से किसी में वह लालच नहीं था। जब रचनात्मक लोग सही कारणों और इरादों के लिए एक साथ आते हैं, तो फिल्म शुद्ध बनती है।" यह बयान फिल्म के प्रति उनकी और टीम की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।



हॉरर के साथ सामाजिक टिप्पणी का मिश्रण

"छोरी" फ्रैंचाइज़ी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हॉरर को केवल डराने तक सीमित नहीं रखती, बल्कि इसके जरिए समाज में व्याप्त पितृसत्ता और misogyny (स्त्री-द्वेष) जैसे मुद्दों को उजागर करती है। पहली फिल्म में जहां साक्षी अपने अजन्मे बच्चे को बचाने के लिए संघर्ष करती है, वहीं "छोरी 2" में वह अपनी बेटी को बचाने के लिए अलौकिक शक्तियों और मानवीय क्रूरता से लड़ती नजर आएगी। इस बार फिल्म में सोहा अली खान एक खतरनाक किरदार "दासी मां" के रूप में नजर आएंगी, जो कहानी में एक नया ट्विस्ट लाएगी।


नुसरत ने अपने इंटरव्यू में फिल्म के सामाजिक संदेश पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि फिल्म में दिखाया गया sexism (लैंगिक भेदभाव) उनके लिए केवल काल्पनिक नहीं है, बल्कि यह वास्तविक जीवन से जुड़ा हुआ है। "मैं बड़े मुद्दों को नहीं उठा सकती, क्योंकि वे तो पहले से ही सबके सामने हैं और उन पर रेखांकन किया जा चुका है। जो मुझे परेशान करते हैं, वे हैं वे चीजें जिन्हें हमने सामान्य बना दिया है। हमने यह ठीक कर दिया है कि औरतों से कुछ भी कहा जा सकता है या उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है। हमने यह स्वीकार कर लिया है कि लड़की को कहा जाए 'तुम्हें समझ नहीं आएगा' या 'तुम्हारी राय मायने नहीं रखती'।"


उन्होंने आगे कहा, "मैं उन लोगों को दोष नहीं देती जो ऐसा कहते हैं, लेकिन बोलने वाले 5 होते हैं और उसे मानने वाले 500 होते हैं। मेरे लिए रोज़मर्रा की ये समस्याएं, यह casual sexism (सामान्य लैंगिक भेदभाव) सबसे ज्यादा परेशान करता है।" नुसरत का यह बयान आज के समाज में गहरे पैठे हुए लैंगिक भेदभाव की ओर इशारा करता है, जो इतना सामान्य हो गया है कि लोग इसे नोटिस भी नहीं करते।


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फिल्म इंडस्ट्री में नुसरत का अनुभव

नुसरत ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने अनुभवों को भी साझा किया, जहां उन्हें कई बार casual sexism का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि कई बार उन्हें अपनी राय रखने से रोक दिया जाता है या यह कह दिया जाता है कि "यह तुम्हारी जगह नहीं है।" ऐसे मौकों पर उन्हें चुप रहना पड़ता है, क्योंकि वह नहीं चाहतीं कि उन्हें "परेशानी खड़ी करने वाली" समझा जाए। "मुझे ऐसा दिखाना पड़ता है कि मैं इससे ठीक हूं, ताकि आपके इस संसार में सह-अस्तित्व बना रह सके। यह एक चुनौती है," उन्होंने कहा।


यह खुलासा न सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री में व्याप्त पितृसत्तात्मक सोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे महिलाएं अपने विचारों को दबाने के लिए मजबूर होती हैं। "छोरी 2" में भी यही थीम देखने को मिलेगी, जहां साक्षी न केवल भूतों से, बल्कि समाज की रूढ़ियों से भी लड़ती है।



छोरी 2 की कहानी और अपेक्षाएं

"छोरी 2" की कहानी साक्षी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अब एक मां बन चुकी है और अपनी बेटी को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करती है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि साक्षी को एक दासी (सोहा अली खान) और अन्य अलौकिक शक्तियों से खतरा है। फिल्म का सेटअप पहले से ज्यादा डरावना और रहस्यमयी है, जिसमें गन्ने के खेतों की भूलभुलैया और ग्रामीण परिवेश का इस्तेमाल प्रभावी ढंग से किया गया है।


विशाल फुरिया के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म टी-सीरीज, अबुंदंतिया एंटरटेनमेंट, साइक और टैमरिस्क लेन प्रोडक्शन के बैनर तले तैयार की गई है। नुसरत के अलावा फिल्म में गश्मीर महाजनी, सौरभ गोयल, पल्लवी अजय जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में हैं। ट्रेलर को देखकर लगता है कि यह फिल्म न केवल हॉरर के मामले में बल्कि भावनात्मक गहराई में भी दर्शकों को बांधे रखेगी।



समाज पर प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

"छोरी" जैसी फिल्में भारतीय सिनेमा में एक नई राह दिखाती हैं, जहां हॉरर को केवल मनोरंजन का साधन नहीं बनाया जाता, बल्कि इसके जरिए सामाजिक संदेश भी दिया जाता है। नुसरत का मानना है कि अगर कहानी सही ढंग से कही जाए, तो वह अपने आप में प्रभाव छोड़ती है। "हर कोई अलग-अलग कारणों से अभिनेता बनना चाहता है। जब मैंने शुरुआत की थी, तब लोग सिर्फ अभिनय करना चाहते थे। अगर कहानी काम करती है, तो वह काम करती है," उन्होंने कहा।


"छोरी 2" का समय भी सही है, क्योंकि हाल के वर्षों में "स्त्री", "तुम्बाड" और "बुलबुल" जैसी फिल्मों ने हॉरर жанर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। यह फिल्म न केवल नुसरत के करियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा में महिलाओं की कहानियों को मुख्यधारा में लाने का भी प्रयास है।


"छोरी 2" एक ऐसी फिल्म है जो हॉरर के साथ-साथ समाज के उन काले सच को सामने लाती है, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। नुसरत भरुचा का किरदार साक्षी न केवल एक मां की लड़ाई को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे पितृसत्ता और लैंगिक भेदभाव आज भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। नुसरत का यह कहना कि "यह फिल्म लोगों द्वारा लोगों के साथ की गई भयानक चीजों के बारे में है," फिल्म की गहराई को रेखांकित करता है।


11 अप्रैल 2025 को रिलीज होने वाली यह फिल्म दर्शकों के लिए एक रोमांचक और विचारोत्तेजक अनुभव होने का वादा करती है। अगर आप हॉरर के साथ-साथ सामाजिक संदेश का मिश्रण पसंद करते हैं, तो "छोरी 2" आपके लिए एकदम सही पिक हो सकती है।

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