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सिकंदर मूवी रिव्यु: सलमान खान की मास मसाला मूवी में क्या है खास और क्या रह गया अधूरा?

सिकंदर मूवी रिव्यु: सलमान खान की मास मसाला मूवी में क्या है खास और क्या रह गया अधूरा?

सिकंदर, सिकंदर और सिकंदर... पिछले एक साल से सलमान खान की इस बहुचर्चित फिल्म की गूंज हर तरफ सुनाई दे रही थी। 30 मार्च 2025 को ईद के खास मौके पर भाईजान की यह मास मसाला मूवी सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। सलमान खान के फैंस के बीच इस फिल्म को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। थिएटर्स के बाहर लंबी-लंबी कतारें, सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर अलग माहौल और दर्शकों की बेसब्री ने सिकंदर को रिलीज से पहले ही सुर्खियों में ला दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिकंदर वाकई ऑडियंस की उम्मीदों पर खरी उतरती है? क्या इसमें वह जादू है जो सलमान की पिछली ब्लॉकबस्टर फिल्मों में देखने को मिला था, या फिर यह फिल्म कुछ अधूरी सी रह गई? आइए, इस फिल्म की गहराई में उतरकर इसका पहला और सटीक रिव्यू जानते हैं।

सिकंदर मूवी रिव्यु dekhna hai


सिकंदर की कहानी: एक बदले की आग

फिल्म की शुरुआत एक हवाई जहाज के सीन से होती है, जहां सिकंदर राजकोट (सलमान खान) और फिल्म के विलेन, नेता प्रधान (सत्यराज) का बेटा अर्जुन (प्रतीक बब्बर) मौजूद हैं। कहानी तब रफ्तार पकड़ती है जब अर्जुन एक महिला के साथ छेड़खानी करने की कोशिश करता है और सिकंदर उसे सबक सिखाने के लिए उसकी पिटाई कर देता है। यह घटना फिल्म का टर्निंग पॉइंट बनती है। एक मिनिस्टर का बेटा इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाता और बदला लेने की ठान लेता है। इस रंजिश की आग में सिकंदर की पत्नी साईंश्री राजकोट (रश्मिका मंदाना) की जान चली जाती है। इसके बाद सिकंदर का मिशन बन जाता है अपनी पत्नी की मौत का बदला लेना। कहानी में तीन अन्य किरदारों की एंट्री होती है, जो फिल्म के क्लाइमेक्स को रोचक बनाते हैं। लेकिन यह जानने के लिए कि ये तीन लोग कौन हैं और सिकंदर कैसे अपने दुश्मनों को सबक सिखाता है, आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।


कुल मिलाकर, सिकंदर की कहानी एक बदले की साधारण सी स्क्रिप्ट पर आधारित है, जिसमें कुछ ट्विस्ट और टर्न्स जरूर हैं, लेकिन यह कुछ खास नया नहीं लाती। पहला हाफ हल्का और थोड़ा बिखरा हुआ लगता है, जबकि दूसरा हाफ कुछ नए मोड़ लाता है जो दर्शकों को चौंका सकते हैं। फिर भी, 2 घंटे 24 मिनट की यह फिल्म आपको पूरी तरह बांधे रखने में नाकाम रहती है।



सिकंदर की स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन: कहां हुई चूक?

सिकंदर के स्क्रीनप्ले में कमी साफ नजर आती है। कहानी का प्रवाह कई जगह टूटता हुआ लगता है, और कुछ सीन बिना किसी ठोस कनेक्शन के जोड़े गए प्रतीत होते हैं। फिल्म का निर्देशन साउथ के मशहूर डायरेक्टर ए.आर. मुरुगादॉस ने किया है, जिन्होंने "गजनी" और "हॉलिडे" जैसी हिट फिल्में दी हैं। मुरुगादॉस ने सिकंदर को साउथ सिनेमा का टच देने की कोशिश की है, जिसमें बड़े-बड़े एक्शन सीक्वेंस और मसालेदार डायलॉग्स शामिल हैं। डायरेक्शन के मामले में फिल्म ठीक-ठाक है, लेकिन स्क्रीनप्ले की कमजोरी इसे औसत बनाती है।


फिल्म की शूटिंग के दौरान सलमान खान को कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से जान की धमकियां मिली थीं, जिसके चलते कड़ी सुरक्षा के बीच शूटिंग पूरी की गई। शायद यही वजह है कि फिल्म में मनोरम दृश्यों की कमी खलती है। मुंबई की सड़कें हों या राजकोट का इलाका, ये सब परदे पर फीके पड़ते हैं। लोकेशन और सिनेमैटोग्राफी में वह भव्यता नहीं दिखती, जो इस तरह की मास मसाला फिल्म में होनी चाहिए।



अभिनय: सलमान का स्वैग और बाकियों का योगदान

सलमान खान इस फिल्म के केंद्र में हैं, और उनका स्वैग व एक्शन ही फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण है। सिकंदर के किरदार में सलमान अपने फैंस को निराश नहीं करते। उनकी एंट्री, डायलॉग डिलीवरी और एक्शन सीक्वेंस में वही पुराना जादू है, जो उनके फैंस को थिएटर में सीटियां बजाने पर मजबूर करता है। हालांकि, इमोशनल सीन्स में सलमान का अभिनय थोड़ा कमजोर लगता है। खासकर पत्नी की मौत के बाद के दृश्यों में वह दर्शकों से पूरी तरह कनेक्ट नहीं कर पाते।


रश्मिका मंदाना सिकंदर की पत्नी साईंश्री के किरदार में हैं। उनकी और सलमान की केमिस्ट्री ठीक-ठाक है, लेकिन रश्मिका को स्क्रीन टाइम कम मिला है। वह अपनी छोटी सी भूमिका में खूबसूरत और ताजगी भरी लगती हैं, लेकिन किरदार का ज्यादा विकास नहीं हो पाता। सत्यराज विलेन मिनिस्टर प्रधान के रोल में हैं, लेकिन उनका किरदार कमजोर लिखा गया है। प्रतीक बब्बर ने अर्जुन के किरदार में ठीक-ठाक काम किया है, लेकिन वह भी कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ते। शरमन जोशी और काजल अग्रवाल जैसे कलाकारों को फिल्म में बर्बाद किया गया है। उनके किरदारों को न तो ठीक से लिखा गया और न ही स्क्रीन पर जगह दी गई।



सिकंदर फिल्म की एक्शन और संगीत: क्या है खास?

सिकंदर में एक्शन सीक्वेंस फिल्म का हाईलाइट हैं। हवाई जहाज से लेकर ट्रेन और जेल तक, फिल्म में चार बड़े एक्शन सीक्वेंस हैं जो दर्शकों को रोमांचित करते हैं। सलमान का एक्शन अवतार देखने लायक है, और ये सीन उनके फैंस के लिए पैसा वसूल साबित हो सकते हैं। हालांकि, कुछ जगहों पर एक्शन ओवर-द-टॉप लगता है, जो कहानी से मेल नहीं खाता।


संगीत की बात करें तो प्रीतम ने फिल्म के गाने कंपोज किए हैं, जो औसत से थोड़ा बेहतर हैं। "हम आपके बिना" जैसे गाने मधुर हैं और फिल्म के मूड को सपोर्ट करते हैं। बैकग्राउंड स्कोर संतोष नारायणन का है, जो एक्शन सीन्स को और दमदार बनाता है। फिर भी, संगीत वह छाप नहीं छोड़ता जो सलमान की पिछली फिल्मों जैसे "सुल्तान" या "बजरंगी भाईजान" में देखने को मिला था।



ऑडियंस की प्रतिक्रिया और बॉक्स ऑफिस की उम्मीद

रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर सिकंदर को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। सलमान के कट्टर फैंस इसे ब्लॉकबस्टर बता रहे हैं, वहीं कुछ दर्शकों ने इसे निराशाजनक और औसत फिल्म करार दिया है। थिएटर्स में पहले दिन की भीड़ और एडवांस बुकिंग को देखते हुए फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी ओपनिंग ले सकती है। ट्रेड एनालिस्ट्स का अनुमान है कि यह पहले वीकेंड में 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है। लेकिन लंबे समय तक टिकने के लिए फिल्म को वर्ड ऑफ माउथ पर निर्भर रहना होगा, जो अभी कमजोर नजर आ रहा है।


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सिकंदर फिल्म देखें या न देखें?

कुल मिलाकर, सिकंदर एक एवरेज मास मसाला फिल्म है, जो सलमान खान के स्टारडम पर टिकी है। अगर आप सलमान के जबरा फैन हैं, तो यह फिल्म आपको उनके स्वैग और एक्शन के दम पर एंटरटेन कर सकती है। लेकिन अगर आप एक मजबूत कहानी, गहराई और नयापन चाहते हैं, तो सिकंदर आपको निराश कर सकती है। पिछले साल सलमान के लिए मुश्किल भरे रहे, और सिकंदर उनकी तकदीर बदलने की उम्मीद लेकर आई थी। लेकिन यह फिल्म न तो बहुत बड़ी हिट बनती दिख रही है और न ही पूरी तरह फ्लॉप। यह एक मिडिल ग्राउंड पर खड़ी है, जो न सिकंदर की तरह विजेता है और न ही हारा हुआ योद्धा।


तो, क्या आप सिकंदर देखने थिएटर जाएंगे? यह फैसला आपका है। लेकिन अगर भाईजान का जादू आपके दिल में बसता है, तो यह फिल्म आपके लिए ईद की छोटी सी ईदी जरूर साबित होगी।

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